वैरागी (अछांदस) – घनश्याम ठक्कर

वैरागी

अछांदस

घनश्याम ठक्कर

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‘वैरागी’ काव्य के संदर्भमें गुजरात के महान कवि, समीक्षक और साहित्य-प्राज्ञ श्री लाभशंकर ठाकर की समीक्षा

ला.ठा. को व्याप्ति, अव्याप्ति और अतिव्याप्ति के दोष के खतरे के बावजुद भी अत्याधिक वृतान्त करनेमें दिलचस्पी है. तो एक कथन फेंक रहा हूं, ” जो वैरागी नहीं, वह कवि नहीं.”

इस निवेदन प्रेरित उकसाहट की असरमें वर्तमान और भूतकाल के कई काव्यग्रंथों को फेंक देने के लिये तत्पर पुस्तकाघ्यक्ष, रूको.

ऐसा करोगे तो  अभ्यासी विद्वानों को अ-काव्य के दृष्टान्त कैसे मिलेंगे?

सौजन्यः

घनश्याम ठक्कर रचित गुजराती काव्यसंग्रह ‘जांबुडी क्षणना प्रश्नपादरे’ (१९९३) की, श्री लाभशंकर ठाकर लिखित प्रस्तावना ‘

गुजराती कवितानो एक ध्यानपात्र अवाज (गुजराती आधुनिक कविता की एक ध्यान देने योग्य आवाझ’).

अनुवादः घनश्याम ठक्कर

About Ghanshyam Thakkar

Music Composer, Music Arranger, Music Producer, Poet, Lyricist, Blog Editor, Audio Recording and Mixing Artist, Web-page Design Artist, Electrical Engineer(B.E.), Project Manager
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