भोरः पापाजी, पूत्री और पपी
फोटोग्राफ
At Dawn: Daddy, Daughter and Doggie
Ghanshyam Thakkar (Oasis)
भोर तो सुबह और शाम दिन के असाधारण समय है. वैसे तो सुबह में सूर्योदय के तत्काल पूर्व का और शाम को सूर्यास्त के तत्काल बाद का उजास मिलता जुलता होता है. लेकिन माहौल और चेतना की अनुभूती अलग है. शाम को काम से थका हुआ मनुष्य घर को वापस लौटता है, और सिर्फ रिलेक्ष होने की भावना रखता है. हवामें भी प्रदूषण होता है. रास्ते वाहन से भरे हुए होते है.
भोर का समय अलग है. वातावरण में शान्तिपूर्ण उत्तेजना है, योगासन पूर्व की समाधी जैसी. सूर्य अभी नीकला नहीं है, मगर क्षितिज के पीछे छूप कर प्रकाश का पूर्वावलोकन भेज रहा है. तिमिर और प्रकाश का अद्भुत संयोजन शरीर और मन की चेतना को गुदगुदी करता है. ऐसे प्रकाश में फूल-पान खूद अपनी परछाई जैसे दिखते है. कुछ स्ट्रीट लाइट अभी जल रही है और आने वाले दिन के प्रकाश का उत्सव मना रही है. नदी के जल में इन बत्तीओं का प्रकाश जलस्नान करे उसकी अनुभूति तो आपको यह फोटो देखने के बाद ही होगी.
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