यह विनोदपूर्ण जीवन प्रसंग नौशादजी ने खुदने एक इन्टरव्यु में कहा था.
जो भी हिन्दी पढ सकते हैं, उन्हें महान संगीतकार नौशादजी के परिचय की जरूरत नहीं है. जब नौशादजी संगीतकार/एक्टर आदी बनने का ख्वाब ले कर यु.पी. से बंबई आये, तो वे फिल्म इन्डस्ट्री में किसीको नहीं जानते थे. संगीत में सफलता पाने से पहले उन्हें काफी संघर्ष करना पडा. लेकिन कुछ ही समय में वे फिल्मजगत के सबसे बडे संगीतकार बन गये. १९४० के दशक की बात है, जब संगीत प्रसारण के माध्यम बहुत कम थे, और आम लोग ग्रामोफोन और रेकोर्ड नहीं बसा सकते थे. फिर भी नौशादजी के गाने घर घर में लोग गुनगुनाते थकते नहीं थे. फिल्म संगीत को लोकप्रिय बनाने में उस समय शादी के समय बजते बॅंड-बाजों का योगदान कम नहीं था. बेंड वाले उस समय नौशादसाब के गाने सबसे ज्यादा बजाते थे.
Computer Art: Oasis Thacker
संगीत में सफलता मिलने के बाद गांवमें नौशादजी के पिताजी बेटे की शादी के लिये रिश्ता ढूंढ रहे थे. उस समय वर और कन्या की पसंदगी उनके माता-पिता करते थे. एक अच्छा रिश्ता आया. कन्या के पिताजीने नौशाद के पिताजी से पूछा, “लडका बंबई में क्या करता है?.”
नौशादजी के पिता को लगा कि, अगर वे कहें गे कि ‘लडका संगीतकार और कवि है, फिल्म लाइनमें काम करता है’, तो शादी होने की संभावना नहीं थी. उन्हों ने जूठ बोलाः “नौशाद बंबई में एक दफतर में काम करता है.”
शादी का जुलूस निकला तो बॅंड वाले सभी गीत नौशादजी के बजा रहे थे! आज के हिसाब से नौशाद का संगीत भले ही पुराने फैशन का माना जाय, उस जमाने में वे सबसे मोडर्न थे. और ससुरजी थे पुराने खयालात के! उन को मालुम नहीं था कि, बेन्ड वाले जो गाने बजा रहे थे वे उनके जामात के संगीत में रेकोर्ड हुए थे.
बेंड के गाने सुन सुन कर जब ससुरजी तंग आ गये तो बोले, “ये बेंडवाले किस बेवकुफ के गाने बजा रहे है?”
ससुरजी ने नौशाद साब का बॅन्ड बजा दिया!!!!
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